"मैं यीशु हूँ, अवतारित वचन। मुझे तुम्हें अपने पिता के राज्य की ओर ले जाना है। राज्य दिव्य इच्छा है। मार्ग पवित्र प्रेम है। इस राज्य नदियाँ, झीलें और धाराएँ दिव्य प्रेम और दिव्य दया के अपरिवर्तनीय उपहार हैं। सबसे ऊंची चोटी अथाह ज्ञान है। घाटियाँ आत्मा को भिगो देने वाली शांति हैं। मेरे पिता के राज्य में संयुक्त हृदय विजयी होते हैं। कोई समझौता नहीं है, घृणित संदेह - केवल आनंद है। आओ फिर, और मुझे तुम्हें नेतृत्व करने दो – तुममें से प्रत्येक को। अपनी इच्छा मुझको सौंप दो और मैं तुम्हें रूपांतरित करूँगा। मैं यह राज्य पृथ्वी पर दूँगा।"